Overload Overcurrent क्या है और इनमे अंतर

 

Overload Overcurrent क्या है और इनमे अंतर

नमस्कार दोस्तों आज हम ओवरलोड और ओवरकरंट क्या है यह जानेंगे और इसी के साथ ही हम overload overcurrent के बीच अंतर पर भी बात करेंगे.

वैसे दोस्तों जब कभी हम overload और overcurrent इन दोनों के नाम पर गौर करते है, तो इनके नाम से ही हमे पूरी तरह साफ़ हो जाता है की आखिर यह दोनों इलेक्ट्रिकल सिस्टम के अन्दर हमे क्या बताते है।

लेकिन इतना समझने के बाद फिर हम कई बार शॉर्टसर्किट और ओवरकरंट में कन्फ्यूज हो जाते है, तो इसीलिए हम इसी टॉपिक के अन्दर Short-circuit current के बारे में भी कुछ जरूरी बाते जान लेंगे।
अभी के लिए हम सबसे पहले ओवरलोड कंडीशन क्या है, इसे समझ लेते है।

What is Overload (ओवरलोड क्या होता है)

ओवरलोड का मतलब है कि हमारा कोई भी डिवाइस है, अगर हम उस डिवाइस को उसकी कैपेसिटी से ज्यादा लोड दे देते है तो वह ओवरलोड कंडीशन कहलाती हैं। इसको हम एक उदाहरण की मदद और अच्छे से समझ सकते है।

उदाहरण- मान लीजिए कि मैं एक इंसान हूं और मेरी कैपेसिटी यह है कि मैं 40 किलो तक के वजन को उठा सकता हूं, अब अगर कोई मुझसे जबरदस्ती 40 के बदले 50 किलो वजन उठवाता है तो यह कंडीशन मेरे लिए ओवरलोड की कंडीशन कहलाएगी।

वही अगर हम मोटर की बात करें तो सभी मोटोरो के अन्दर अलग-अलग कैपेसिटी की शाफ्ट/रोटर लगा होता है, जिनकी कैपेसिटी अलग-अलग होती है. अब अगर हम इस शाफ्ट पर उसकी कैपेसिटी से ज्यादा लोड देते हैं तो यह कंडीशन ओवरलोड कंडीशन कहलाती है।

Overload नुकसानदायक है या नहीं?

इसका सीधा सा जवाब यह है कि अगर कही पर भी ओवर की बात हो रही हो जैसे- ओवरलोड, ओवर-वोल्टेज, ओवर करंट. तो यह कंडीशन हमेशा नुकसानदायक रहती है। क्युकी ओवर का मतलब यही होता है की लिमिट से ज्यादा

over current क्या है इसको भी हम मोटर के उदाहरण से आसानी से समझ सकते हैं. मान लीजिए की हमारे पास अक मोटर है जिसका FLC मतलब फुल लोड एंपियर 10 एंपियर है. लेकिन किसी कारणवंश यह मोटर 10A से ज्यादा करंट लेती है तो यह कंडीशन overcurrent कहलाती है ।

अब यहाँ पर एक और सवाल यह पैदा होता है फिर आखिरकार ओवरलोड और ओवरकरंट इन दोनों में क्या अंतर है, क्योंकि जब भी हमारी मोटर ओवरलोड पर चलती है तो वह ज्यादा करंट तो लेती है, तो फिर overload और overcurrent दोनों एक ही बात हो गयी क्युकी दोनों में मोटर ज्यादा करंट लेती है.

लेकिन दोस्तों ऐसा बिल्कुल भी नहीं है. Overcurrent कई सारी कंडीशन पर निर्भर होता है, जैसे कि उपकरण के ज्यादा लोड पर चलने से, मोटर के जाम होने पर या फिर मोटर में जाने वाले सप्लाई वोल्टेज कम ज्यादा होना पर, इसके अलवा अर्थ फॉल्ट होने पर तो इन सभी वजह के कारण भी overcurrent की कंडीशन आ सकती है.

यह भी पढ़े- ओवरलोड रिले क्या है इससे जुडी जरूरी जानकारी

Overload Relay full explain in hindi

दोस्तों अगर आप कही पर इलेक्ट्रिकल में जॉब करते है, तो आपने लगभग सभी मोटर स्टार्टर के अंदर हमेशा ओवरलोड रिले को लगा हुआ जरूर देखा होगा, तो आज हम इसी OLR मतलब overload relay के ऊपर बात करेंगे।

OLR का पूरा नाम– Overload Relay (ओवरलोड रिले)

कही-कही पर इसे थर्मल ओवरलोड रिले भी बोला जाता है।

What is Overload Relay (ओवरलोड रिले क्या है)

ओवरलोड रिले एक इलेक्ट्रिकल डिवाइस है, जिसका उपयोग हम मोटर को सेफ्टी देने के लिए करते है। इसकी वर्किंग काफी आसान होती है। यह मोटर में जाने वाले करंट को सेंस करती है। और अगर मोटर Relay पर सेट करंट से ज्यादा एम्पेयर लेती है, तो यह OLR सर्किट को ट्रिप करा देती है। इस तरह मोटर सेफ हो जाती है।

Overload relay working (OLR कैसे काम करती है)

ओवरलोड रिले के अंदर बाई मेटालिक एलिमेंट होते है। मोटर में जाने वाला करंट इन्ही बाई-मेटालिक एलिमेंट से होकर जाता है। अब अगर मोटर ज्यादा करंट लेती है, तो यह बाई मेटालिक एलिमेंट गरम होकर मुड जाते है। ऐसा होते ही सर्किट ब्रेक हो जाता है, और मोटर बंद हो जाती है।

Overload relay Connection

OLR का ज्यादातर उपयोग कॉन्टैक्टर के साथ किया जाता है। ओवरलोड रिले को उपयोग में लेते समय दो प्रकार के कनेक्शन होते है।

  1. Power connection(पावर कनेक्शन)
  2. Control connection(कण्ट्रोल कनेक्शन)

Power Wiring- पावर वायरिंग के अंदर कॉन्टैक्टर से निकले तीन फेज को हम रिले के L1 L2 L3 टर्मिनल के साथ जोड़ देते है। इसके बाद Relay के T1 T2 T3 टर्मिनल से हम मोटर को थ्री फेज सप्लाई देते है।

Control Wiring- कण्ट्रोल वायरिंग में आपको सिर्फ मोटर स्टॉप बटन (NC push button) के सीरीज में रिले को जोड़ना होता है। यह हम सभी को पता है, की कॉन्टैक्टर को बंद चालू करने के लिए हम सप्लाई NO NC पुश बटन से देते है। तो अब आपको NC बटन से निकले वायर को डायरेक्ट NO पुश बटन में नहीं लगाना है।

NC बटन से निकला फेज पहले OLR relay के NC कांटेक्ट में जाएगा और फिर relay के NC कांटेक्ट से निकले फेज वायर को हम स्टार्ट पुश बटन (NO) में जोड़ देंगे।

OLR Relay types (ओवरलोड रिले के प्रकार)

ओवरलोड रिले मुख्य 2 प्रकार की आती है।

  1. Thermal Overload relay
  2. Magnetic Overload relay


Thermal Overload relay- थर्मल ओवरलोड रिले की वर्किंग काफी आसान होती है। इस प्रकार की रिले में मोटर के अंदर जाने वाला करंट पहले रिले के कांटेक्ट से होकर जाता है। यह रिले के कांटेक्ट उस करंट के बहने से हीट मतलब गरम हो जाते है और यह कितने गरम हो रहे है, इसी पर थर्मल ओवरलोड रिले काम करती है।

Magnetic Overload relay- लेकिन मैग्नेटिक ओवरलोड रिले हीट पर काम नहीं करती है। यह मैग्नेटिक फील्ड पर काम करती है। जैसा हम सभी को पता है अगर किसी कंडक्टर में से करंट फ्लो होता है, तो उसके आस-पास मैग्नेटिक फील्ड बन जाती है। तो यह मैग्नेटिक ओवरलोड रिले इसी पर काम करती है।

यह करंट से बनने वाले मैग्नेटिक फील्ड की स्ट्रेंथ को सेंस करके पता करती है, की मोटर ओवरलोड तो नहीं चल रही है। और अगर कोई ओवरलोड कंडीशन होती है, तो यह तुरंत ट्रिप कर जाती है।

Overload relay protection in hindi

ओवरलोड रिले हमारे इलेक्ट्रिकल उपकरण को मुख्य 3 फाल्ट से सुरक्षा देती है।

  • Overloading Fault- ओवरलोडिंग फाल्ट का मतलब जब कभी हम हमारे उपकरण को ओवरलोड रिले से जोड़ देते है। अब अगर वह उपकरण रिले पर सेट एम्पेयर से ज्यादा करंट लेता है, तो उस समय रिले ओवरलोड फाल्ट समझ कर सर्किट को ट्रिप कर देती है।
  • Input Phase loss- यह सुरक्षा इलेक्ट्रिकल मोटर के लिए काफी ज्यादा जरूरी है। जैसा की हम सभी को पता है की अगर किसी थ्री फेज मोटर के अंदर हम गलती से 2 फेज सप्लाई दे देते है, तो वह मोटर कुछ दी देर में जल जाएगी। तो ओवरलोड रिले इस फाल्ट से भी सुरक्षा देती है। अगर कभी कोई फेज कही मिस हो जाता है, तो यह रिले इनपुट फेज लॉस फाल्ट पर ट्रिप हो जाती है।
  • Phase Imbalance- अगर कभी हमारे तीनो फेज में वोल्टेज अलग-अलग आ रहे है, एक में ज्यादा दूसरे में कम तब भी Olr relay ट्रिप होकर सिस्टम को सुरक्षा देती है। इसके साथ ही अगर हमारी मोटर भी एक फेज में ज्यादा करंट और दूसरे में कम करंट लेती है तब भी यह रिले फेज इम्बैलेंस फाल्ट से ट्रिप हो जाती है।
Can OLR protect from short circuits?

कई लोगो के मन में यह सवाल होता है की क्या ओवरलोड रिले शार्ट सर्किट से सुरक्षा देती है? तो दोस्तों इसका जवाब है नहीं। ओवरलोड रिले हमारे उपकरण को सिर्फ तीन प्रोटेक्शन देती है overload, phase loss और phase imbalance.

अगर आपको साथ में शार्ट सर्किट प्रोटेक्शन चाहिए तो आपको इसके साथ में MCB को भी लगा देना चाहिए, ताकि MCB शार्ट सर्किट फाल्ट पर सिस्टम को प्रोटेक्शन देती रहे।

Parts of an overload relay

Terminal- रिले के अंदर कुल 6 टर्मिनल होते है। इसमें L1 L2 L3 पर फेज सप्लाई वायर को जोड़ा जाता है। इसके साथ ही इसमें T1 T2 T3 टर्मिनल होते है, इन टर्मिनल पर मोटर के वायर को जोड़ा जाता है।

OLR-Relay-Parts-name-in-hindi

















Ampere Range Setting- सभी प्रकार की ओवरलोड रिले में आपको एक रोटरी नॉब जरूर देखने को मिलेगी। इसकी सहयाता से हम रिले को सेट कर सकते है, की वह ज्यादा से ज्यादा कितने करंट को निकलने देगी।

Reset Button- जब किसी कारण से ओवरलोड रिले ट्रिप हो जाती है, तब हमे उसको वापस उपयोग करने के लिए रिले को रिसेट करना होता है। तो OLR relay को रिसेट करने के लिए इस पर एक रिसेट बटन लगा होता है।

Manual/Auto reset selection- यह एक बटन होता है, इसको आप ऑटो पर या फिर मैन्युअल दोनों में से किसी पर भी सेट कर सकते है। अगर आपने इसे मैन्युअल पर सेट कर रखा है, तो फाल्ट के होने पर आपको रिले खुद जाकर रिसेट करनी होगी। लेकिन ऑटो के समय यह रिले थोड़ी देर में अपने आप ठंडी होकर रिसेट हो जाती है।

Auxiliary contact- यह ऑक्सलारी कांटेक्ट में NO और NC कांटेक्ट होते है। इसके NC कांटेक्ट का मुख्य उपयोग हम कॉन्टैक्टर को रिले से स्टार्ट और बंद के करने के लिए लेते है।

Test button- इस बटन की मदद से हम relay को चेक कर सकते है की वह सही से काम कर रही है या नहीं।


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तो दोस्तो उम्मीद है, आज आपके OLR मतलब Overload Relay से जुड़े कई सवालो के जवाब मिल गए होंगे। अगर अभी भी आपके कोई सवाल इंजीनियरिंग से जुड़े है, तो आप हमे कमेन्ट में जरूर बताए।

Overcurrent और Short-circuit में अंतर?

ओवरकरंट और शॉर्ट सर्किट इन दोनों के बीच अंतर को भी हम मोटर के एक प्रैक्टिकल उदाहरण से समझ लेते हैं।

उदाहरण- मान लीजिए कि एक हमारी मोटर है जो 10 एंपियर करंट पर चल रही है। अब जब कभी हमारे सिस्टम में overcurrent की कंडीशन होगी तो यह मोटर 10 से थोडा ज्यादा लेने लग जाएगी जैसे की 15A-20A और अगर हम ओवरकरंट के समय इस मोटर में से गुजरने वाले मैक्सिमम करंट की बात करे तो यह ज्यादा से ज्यादा 80-100 एम्पेयर हो सकता है।

लेकिन अगर हम वापस वही 10 एंपियर करंट पर चल रही मोटर में शॉर्ट सर्किट की कंडीशन देखे, तो इसमे हमारी मोटर में 50-100 एम्पेयर नही बल्कि हजारो एम्पेयर मिनटों में निकल जाते है।

क्युकी Short-circuit उस कंडीशन को कहा जाता है जब कोई फेस-न्यूटल आपस में टच हो जाते हैं या फिर कोई 2 फेस आपस में मिल जाते हैं, तो इसे शॉर्ट सर्किट कहते हैं। शॉर्ट सर्किट की कंडीशन में 1000 से भी ज्यादा एंपियर 1 मीली सेकंड के अन्दर सर्किट से फ्लो हो जाते है।



दोस्तों अब हम बात करते है की अगर आप इसके बारे में इंटरव्यू में सवाल पूछा जाए तो आपको क्या जवाब देना है।


Question: What is Overload and Overcurrent difference?

प्रश्न: ओवरलोड और शोर्ट सर्किट दोनों में क्या अंतर होता है?

Ans: Overload- all electrical appliances are designed to handle a limited amount of load, when we connect more Load than this, it becomes an overload condition.

ओवरलोड- सभी इलेक्ट्रिकल उपकरणों को एक सीमित मात्रा तक के लोड को संभालने के लिए डिज़ाइन किया जाता है। अब जब कभी हम इससे ज्यादा लोड हमारे उपकरण पर कनेक्ट कर देते हैं, तो यह ओवरलोड की कंडीशन कहलाती है।

Overcurrent- a situation in which the current flow in a device is more than that its current capacity. That is called over current.

ओवरकरंट- ऐसी स्थिति जिसके अंदर किसी उपकरण में से बहने वाली करंट उसकी करंट झेल पाने की क्षमता(FLA) से अधिक होती है ,तो इस कंडीशन को ओवरकरंट कहा जाता है।


तो दोस्तो उम्मीद है आज आपके Overload और Overcurrent से जुड़े कई सवालो के जवाब मिल गए होंगे। अगर आपके अभी भी कोई सवाल इंजीनियरिंग से जुड़े है, तो आप हमे कमेन्ट करके जरूर बताये।


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