Chemical Earthing क्या है कैसे की जाती है? Earthing and Grounding difference in hindi
Chemical Earthing क्या है कैसे की जाती है
आज हम जानेंगे chemical earthing क्या है, यह earthing कैसे और कहा पर की जाती है। साथ ही chemical earthing करने के लिए कितने रुपए का खर्चा होता है वह भी जान लेंगे।
Chemical earthing क्या है
केमिकल अर्थिंग वो अर्थिंग है जिसमें हम कोयले और नमक का इस्तेमाल ना कर कर केमिकल पावडर का इस्तेमाल करते है। सामान्य अर्थिंग में हम इलेक्ट्रोड के ऊपर नमक और कोयला डालते हैं। पर केमिकल आर्थिक में ऐसा नहीं होता केमिकल अर्थिंग में इलेक्ट्रोड के ऊपर केमिकल पावडर डालते है।
Chemical earthing में दो तरह के केमिकल पाउडर का इस्तेमाल होता है। पहला Carbon powder और दूसरा Bentonite powder होता है। Carbon powder काले रंग का होता है और bentonite powder brown Color का होता है। Carbon powder का इस्तेमाल normal जगह पर होता है जबकि Bentonite powder का इस्तेमाल ज्यादातर सुखी जगह पर किया जाता है।
Chemical Earthing का उपयोग कहां होता है
अगर हम चाहे तो केमिकल अर्थिंग का उपयोग घरों में भी कर सकते है। केमिकल अर्थिंग का उपयोग हर जगह हो सकता है। पर कुछ ऐसी जगह होती है जहां सिर्फ केमिकल अर्थिंग ही की जानी चाहिए। उन जगहों पर कोयले और नमक वाले अर्थिंग का इस्तेमाल नहीं हो सकता है। जैसे कि पहाड़ी इलाके में सिर्फ केमिकल की जानी चाहिए। पथरीली जमीन वाली जगहों पर भी केमिकल अर्थिंग ही की जाती है।
साफ़ शब्दो में कहे तो कम नमी वाली जगहों पर हम केमिकल अर्थिंग का इस्तेमाल करते है।
Material used in Chemical earthing
केमिकल अर्थिंग करते समय कई मटेरियल का इस्तेमाल होता है, इनमे से मुख्य 7 मटेरियल के नाम इस प्रकार है।
- Earth Electrode (अर्थ इलेक्ट्रोड)
- Reducing socket (रीडियुसिंग सॉकेट)
- Funnel (फ़नल)
- G.I. Nut (G.I नट)
- Carbon powder/ Bentonite powder (कार्बन पाउडर/बेंटोनाइट पाउडर)
- S.W.G. Copper Wire (S.W.G तांबे का तार)
- तार की जाली
केमिकल अर्थिंग कैसे की जाती है?
केमिकल अर्थिंग करने के लिए सबसे पहले एक गड्ढा खोदते है। गड्ढा अर्थ इलेक्ट्रोड के साइज के अनुसार खोदते हैं। गड्ढा खोदने के बाद उसमे थोड़ा पानी का छिड़काव करते है।
इसके बाद गड्ढे के अंदर 40 से 50% गहराई मे केमिकल पाउडर डालते है। इसके बाद गड्ढे के अंदर अर्थ इलेक्ट्रोड को सेट करते है। अर्थ इलेक्ट्रोड का ऊपरी हिस्सा थोड़ा बाहर रहता है। ऊपरी हिस्से को बाहर इसलिए रखते है ताकि अर्थ वायर को कनेक्ट कर सके।
उसके बाद पूरे गड्ढे में केमिकल कंपाउंड या पाउडर डाल देते है। उसके बाद अर्थ इलेक्ट्रोड के reducing सॉकेट से अर्थ वायर को जोड़ देते है। रीडियूसिंग सॉकेट के साथ एक नट वेल्ड़ किया हुआ होता है नट में अर्थ वायर को जोड़ देते है। इसके बाद अब हम एक-दो दिन बाद अर्थिंग का इस्तेमाल कर सकते है।
chemical earthing की कॉस्ट कितनी रहती है
केमिकल अर्थिंग की कॉस्ट निर्भर करती है हम कितनी गहरी अर्थिंग कर रहे है। अगर हम अर्थिंग खुद करते हैं तो इसकी कॉस्ट थोड़ी कम पड़ती है। अर्थिंग का केमिकल कंपाउंड 5000 से 6000 का पड़ता है, यह रेट 50 KG केमिकल कंपाउंड की है। chemical earthing के लिए अर्थ इलेक्ट्रोड 2000 से 3000 तक का पड़ता है। अगर आप GI अर्थ इलेक्ट्रोड लेने जाते हैं तो वह सस्ता पड़ता है। कॉपर का अर्थ इलेक्ट्रोड GI अर्थ इलेक्ट्रोड महंगा पड़ता है।
इस हिसाब से अगर आप खुद केमिकल अर्थिंग करते हैं तो 7000 से 8000 में आपका काम हो जाएगा। यही अगर आप किसी और कंपनी से कराते हैं तो आपको उससे करवाने के एक्स्ट्रा पैसे भी देने पड़ेंगे। इसके अलावा वह आपसे और भी पैसे कमाने की सोचेंगे और कहेंगे की हम यह अलग प्रकार के केमिकल पाउडर यूज करेगे इसलिए वह महंगा पड़ेगा।
इसलिए अगर आप खुद केमिकल अर्थिंग करते हैं तो 7000 से 8000 में आपका काम हो जाएगा लेकिन किसी कंपनी से कराई हुई केमिकल अर्थिंग आपको 10 हजार से 12 हजार तक पड़ेगी।
Chemical Earthing करने के फायदे
- It reduce resistivity of soil. (यह मिट्टी की प्रतिरोधकता को कम करता है।)
- Chemical earthing is maintenance free earthing. (केमिकल अर्थिंग में मेंटेनेंस की जरूरत नहीं होती है, इसलिए इसे हम मेंटेनेंस फ्री अर्थिंग भी कहते है)
- Chemical earthing is long life earthing. (केमिकल अर्थिंग लंबे समय तक चलती है)
- This performs in all weather conditions giving stable earth resistance values. (यह सभी मौसम में हमे स्थिर अर्थ रेजिस्टेंस देती है)
Earthing and Grounding difference in hindi
दोस्तों अगर आप इलेक्ट्रिकल में पढ़ाई या फिर जॉब करते है। तो आपने earthing और grounding इन दोनों शब्दों को जरूर सुना होगा, और तब आपने यह सोचा भी होगा की आखिर अर्थिंग और ग्राउंडिंग क्या होती है, और earthing and grounding में क्या अंतर होता है।
तो आज हम आपको सबसे पहले Earthing Grounding क्या होता है यह बताएँगे। इसके बाद इन दोनो के बीच अन्तर को समझा देंगे।
सबसे पहले आपको यह याद रखना है की, अर्थिंग और ग्राउंडिंग दोनो ही एक तरह से ही की जाती है। मतलब दोनो के अंदर ही जमीन में गहरा खड्डा करके उसमे से एक वायर को निकाल लिया जाता है।
लेकिन अब हम जमीन से निकाले गए इस वायर को किस जगह पर जोड़ रहे है, उससे फर्क पड़ता है की वह earthing कहलाएगी या फिर Grounding.
What is Earthing (अर्थिंग क्या होती है)
Earthing के अंदर सबसे पहले हम जमीन के अंदर एक गहरे खड्ढे को करके वहाँ से एक वायर को निकाल लेते है। अब इस वायर को हम हमारे इलेक्ट्रिकल के उपकरण की बॉडी पर जोड़ देते है।
यह अर्थिंग वायर को उस उपकरण पर जोड़ा जाता है, जिसकी बॉडी मेटल की बनी होती है। क्योंकि मेटल से बनी बॉडी पर करंट आसानी से फ्लो हो जाता है।
अर्थिंग की जरूरत- अर्थिंग करने के बाद अगर कभी किसी कारण से सप्लाई वायर उपकरण की बॉडी के भीड़ जाता है। तो उस समय करंट हमारे अर्थ वायर की मदद से जमीन के अंदर जाने लग जाएगा। इस बीच अगर कोई उपकरण की बॉडी को आकर छूता भी है, तो उसको करंट नही लगता है।
What is Grounding (ग्राउंडिंग क्या होती है)
Grounding के अंदर भी अर्थिंग की तरह सबसे पहले जमीन में खड्डा करके एक वायर को बाहर निकाल लिया जाता है। पर ग्राउंडिंग के समय हम इस वायर को उपकरण की बॉडी से नही जोड़ते है।
Grounding के समय हम अर्थ के वायर को लाइव सप्लाई के न्यूट्रल से जोड़ते है। ग्राउंडिंग का उपयोग बेहतर तरीके से करंट को जाने का रास्ता मिल जाए इसके लिए किया जाता है।
Earthing and Grounding Difference
Earthing- Earthing is used for our safety when we have an electrical fault.
● अर्थिंग का उपयोग इलेक्ट्रिकल फाल्ट के होने पर, हमारी सेफ्टी के लिए किया जाता है।
Grounding- Grounding is used for the safety of electrical equipment when we have an electrical fault.
● ग्राउंडिंग का उपयोग इलेक्ट्रिकल फाल्ट के होने पर, इलेक्ट्रिकल के उपकरण की सेफ्टी के लिए किया जाता है।
अर्थिंग और ग्राउंडिंग में अंतर
अर्थिंग में हम उपकरण की बॉडी और जमीन को आपस में जोड़ते है। लेकिन ग्राउंडिंग के समय हम इलेक्ट्रिकल सर्किट के न्यूट्रल को जमीन से जोड़ते है।
- ग्राउंडिंग के लिए अधिकतर काले रंग के तार का उपयोग किया जाता है। और अर्थिंग के लिए हरे रंग के तार का उपयोग किया जाता है,
- Earthing का उपयोग इलेक्ट्रिकल शॉक से बचने के लिए किया जाता है। लेकिन ग्राउंडिंग का मुख्य उपयोग थ्री फेज इलेक्ट्रिकल सिस्टम को unbalance होने से बचाने के लिए किया जाता है।
- Grounding के अंदर लाइव पार्ट जिसमे करंट बह रहा है उसको जमीन से जोड़ा जाता है। लेकिन Earthing के समय Dead part को जमीन से जोड़ा जाता है। मतलब उस पार्ट को, जो की नॉर्मल कंडीशन में करंट के सम्पर्क में नही होता है।
उदाहरण- ट्रांसफॉर्मर और जनरेटर के न्यूट्रल मतलब (स्टार कनेक्शन) को हम जमीन से ground कर देते है। इसी को ही ग्राउंडिंग कहा जाता है।
जबकि जब हम ट्रांसफार्मर या किसी भी उपकरण जिसकी बॉडी मेटल की बनी है। उसको हम अपनी इलेक्ट्रिकल शॉक से सुरक्षा के लिए जमीन से जोड़ते है, यह अर्थिंग कहलाती है।
तो दोस्तो उम्मीद है, आज आपके Earthing और Grounding से जुड़े कई सवालो के जवाब मिल गए होंगे। अगर आपके अभी भी कोई सवाल इंजीनियरिंग से जुड़े है, तो आप हमे कमेन्ट करके जरूर बताये।
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